मां भारती की आरती (कविता)

धर्म की खातिर कृष्ण बने स्वयं यहां पर सारथीआरती यह आरती मां भारती की आरती पावन गंगा का नीर यहांजो हर दे सारी पीर यहांवाणिज्य कला विज्ञान यहांहै धर्म संस्कृति का ज्ञान यहां वेदों की अमृतवाणी हर एक मनुज को तारतीआरती यह आरती मां भारती की आरती कहीं सूर्य तो कहीं स्वर्ण का मंदिरकहीं गुफाएं…

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