आई फ्लू क्या है-
आई फ्लू से ज्यादातर मामले एडेनोवायरस के संक्रमण की वजह से होते हैं। संक्रमित व्यक्ति से सीधे संपर्क में आने की वजह से आपको भी यह बीमारी हो सकती है। आई फ्लू को पिंक आई ओर कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है। यह श्वसन तंत्र या नाक-कान अथवा गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस होता है।
इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख को भी चपेट में ले लेता है। आमतौर पर एक से दो हफ्ते में यह अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन, कई बार साथ में बैक्टीरियल इन्फेक्शन से जुड़ जाता है इस वायरस से पता लगा रहे हैं,कि जिसमें वायरस की स्ट्रेन का पता लगाया जाता है ,और संक्रमित इंसान में वायरस के साथ बैक्टीरिया है या नहीं, इसका भी खुलासा हो जाएगा। जिससे इलाज आसान हो जाएगा। अगर बैक्टीरिया भी है तो एंटीबायोटिक्स दिया जा सकता है।
हाल ही में, नेत्रश्लेष्मलाशोथ या आई फ्लू के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के शहरों में भी इस बीमारी का कहर बढता जा रहा है | सरकार द्वारा कई स्कूले बंद करने का आदेश दिया गया है, क्योंकि बच्चों में इसका प्रसार अधिक है। स्वास्थ्य संस्थाओ के मुताबिक हर दिन कंजंक्टिवाइटिस के करीब 100 मामले सामने आ रहे हैं। एम्स में आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेलमिक साइंसेज के प्रमुख डॉ. जेएस टिटियाल कहा कि “हमें प्रतिदिन कंजंक्टिवाइटिस के कम से कम 100 मामले मिल रहे हैं। आमतौर पर नेत्रश्लेष्मलाशोथ के मामलों में मौसमी वृद्धि होती है, जो फ्लू के मौसम के साथ मेल खाता है।
आई फ्लू के लक्षण
- आंखें लाल होना, जलन होना |
- पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होना |
- आंखों में चुभन और सूजन आना |
- आंखों में खुजली होना और पानी आना |
आई फ्लू को कैसे रोकें:-
- जागरूकता पैदा करना और उन्हें संक्रमण और स्वच्छता के बारे में शिक्षित करना
- हाथ की अच्छी स्वच्छता का पालन करें
- आंखों और अन्य सतहों को छूने या रगड़ने से बचें
- आंखों से स्राव को साफ़ करने के लिए साफ़ पोंछे का उपयोग करें और सुरक्षित रूप से कूड़ेदान में डालें
- नियमित रूप से हाथ धोएं
- प्रसार के जोखिम को कम करने के लिए भीड़–भाड़ वाली जगहों से बचें
- आंख को बार–बार छूने से बचें
- तौलिया, मेकअप आदि जैसी व्यक्तिगत वस्तुएं साझा न करें।